परछाई कोई लहराए तो लगता है कि तुम हो।
जब बारिश के सुहाने मौसम में
कोई बूंद टकराए तो लगता है कि तुम हो।
काली तन्हाँ रातें जब सताए
चैन कहीं ना आए तो लगता है कि तुम हो।
समुंदर की बलखाती लहरों में
कोई मोती उतर जाए तो लगता है कि तुम हो।
कंकरीले पथरीले चट्टानों में
कोई झरना बह जाए तो लगता है कि तुम हो।
सुनसान गुजरती अकेली राहों में
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