लिखता रहूं मन में आते हैं ख्याल कई सारे कुछ बुरे, कुछ होते हैं प्यारे। सोचता हूँ कैसे याद रखूं सबको लिखता रहूं बस कलम के सहारे। लिखता रहूं वो हर बात, हर जज़्बात वो दिन की कहानी, वो रात की मनमानी। कैसी होती है सुबह, और शाम कितनी सुहानी कभी बेमौसम बारिश तो कभी सूरज की नादानी। लिखता रहूं लोगों का आना और जाना कहते हैं अपना लेकिन करके बेगाना। लोगों की सबसे ज्यादा चुभने वाली बातें और फूलों की रखवाली करते कांटे। लिखता रहूं वो हर दिन और रात जो गुजर गयी पर हुई ना कुछ खास। कुछ मेरी नादानी और वक़्त का परिहास कुछ टूटे अरमान कुछ उनके एहसास। बस सोचता हूँ की लिखता ही रहूं कुछ कह ना सकूँ बस करता ही रहूं। मेरी कलम बोले हर दिल की आवाज लिखता रहूं मैं सबका अंदाज। बस लिखता रहूं... ✍️ -अखिलेश द्विवेदी Follow Friends, If you like the post, comment below and do share your response. Thanks for reading 😃