मेरी भी एक ख्वाहिश थी, की तुम मेरे साथ रहो
कुछ मेरी सुनो कुछ अपने जज्बात कहो
बेवजह की नादानियाँ करता रहा यह दिल
थोड़ा बैठो तो मेरे साथ और मेरे एहसास सुनो।
सोचा था की हम उमर भर साथ चलेंगे
हम ज़िन्दगी के सब लम्हें साथ जियेंगे
तुमने न सुनी मेरी वो एक छोटी सी बात
जिसमे था कहा मैंने हम साथ रहेंगे।
अपनों का सहारा होगा खुशियों के समंदर में
हम झूम रहे होंगे उस प्यारे से मंजर में
तुम भी कहते फिर कितना सुन्दर है यह एहसास
सब छूट गया अब उन नादानियों के बवंडर में।
काश! मैं वापस ला पाता उस बीते कल को
फिर ख़ुशियों के आँसू, भिगोते इन पलकों को
अपना एक छोटा सा आशियाना हम बनाते
ख़ुशी-ख़ुशी हम एक साथ ज़िन्दगी बिताते।
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