मां की कोख में पलने से हर पल सबका प्यार इस खिलौने से, पहली किलकारी से घर भरने से, दुनिया में पहला कदम रखने तक। फिर समझ आया कि यही जीवन है। वो घर से दूर कहीं निकल जाना थक हार कर वापिस घर आना, मां के हाथों से पक़ा खाना लगता था मिल गया कोई खजाना। फिर समझ आया कि यही जीवन है। वो सबसे दूर कहीं नौकरी की तलाश में करना सबको याद जब कोई ना हो पास में, तरक्की के लिए अपनों को पीछे छोड़ जाना सब मोह छोड़ वापिस मिट्टी में मिल जाना। फिर समझ आया कि यही जीवन है। ✍️ -अखिलेश द्विवेदी Follow Friends, If you like the post, comment below and do share your response. Thanks for reading 😃