हर तरफ धुंधला-धुंधला सा दिख रहा है जैसे कोई आंसुओं से गया है मिलने। गुमान हमको किस बात का है मनो यह दुनिया ही रची है हमने। वो एक शख्स जो आँखों में मेरी दिखता है तस्वीर उसकी ही दिल में रखी है हमने। हर शख्स सा दिखता है एक शख्स मुझमें खुद में सबकी परछाईं सी रखी है हमने। सपनों ने कभी चैन से सोने ना दिया जाग जाग कर रातें गुजारी है हमने। रो रही है मौत जिसके मरने पर एक ऐसी पहचान रची है हमने। ✍️ -अखिलेश द्विवेदी Follow Friends, If you like the post, comment below and do share your response. Thanks for reading 😃