“जो सोचा था कभी, अब वो हकीकत है” कभी था एक सपना, किताबों में जो लिखा था, सशक्त, समृद्ध होगा एक सपना अनकहा था। जो देख रहे हैं हम अपनी आँखों के सामने, वो सपना नहीं, वो तब हकीकत की नीव बना था। ना भीड़ है विदेशों की उड़ानों में, ना बेचैनी है पहचान के सवालों में। अब बच्चों का सपना यहीं कुछ बनना है, अब वो बात नहीं विदेशों में पढ़ने जाने में । सड़कों पर दौड़ते हैं अब Hyperloop के रथ, हर गाँव है डिजिटल और साफ़ सुथरा पथ। किसान का बेटा coder, और coder अब किसान, गाँव और मिट्टी का अब साथी बना विज्ञान। AI अब करता सेवा है, और मानव ही राजा है, ड्रोन लाते हैं दवाइयाँ, और चाँद अब खटखटाता दरवाज़ा है। ISRO की उड़ानें अब हौसले मजबूत कर जाती है - ज़मीन या अंतरिक्ष हर तरफ़ अब गर्व से तिरंगा लहराती है। हमारा सैनिक अब exo-suit में रखवाली करता सीमा पर नहीं - साइबर फ्रंट पर भी देश की ढाल बनता। शक्ति अब केवल तोप और हथियारों की बात नहीं चिप्स, सैटेलाइट और कोड भी देश की गरिमा बढ़ाता है। अब आस्था की धुन और लैब की मशीनें, एक ही सुर में गाते हैं, अब धर्म और विज्ञान एक ही ज्ञान बताते हैं - शक्ति, श्रद्...