Har Shaam Gujar Jaaye Bas Itna Tumse Milna hai | हर शाम गुजर जाए बस इतना तुमसे मिलना है | By- Akhilesh Dwivedi | Think Tank Akhil

Har Shaam Gujar Jaaye Bas Itna Tumse Milna hai | हर शाम गुजर जाए बस इतना तुमसे मिलना है | By- Akhilesh Dwivedi | Think Tank Akhil
हर शाम गुजर जाए बस इतना तुमसे मिलना है 


हो ऐसा भी पल जब तुम हो मेरे पास
चारो और हो खामोशी बस सुन लें मन की बात।
जो शोर तुम्हारे मन में है वो मुझको सुनना है
हर शाम गुजर जाए बस इतना तुमसे मिलना है।

एक गरम चाय की प्याली हो या हो ठंडे शरबत का गिलास
हम बोले भी ना और बातें हों बस रहना इतने पास।
जीवन की काली रातों में संग हाथ पकड़ कर चलना है
हर शाम गुजर जाए बस इतना तुमसे मिलना है।

पतझड़ के वीराने में ना छूटे अपना साथ
सावन के तूफ़ानो में एक छतरी में हो हम साथ।
सर्दी की ओस की बुंदो पर साथ तुम्हारे चलना है
हर शाम गुजर जाए बस इतना तुमसे मिलना है।

जो साथ हो तुम मेरे ये जीवन है एक प्यारा गीत
बन जाओ मेरे सुख दुख के साथी मेरे सच्चे मीत।
हो साथ अगर तुम तो मुझे दरिया में भी उतरना है
हर शाम गुजर जाए बस इतना तुमसे मिलना है।

गांव के बागीचे में तुम्हें कोयल का गीत सुनाना है
चिड़िया जब लोरी गाए उस धुन में तुम्हें सुलाना है।
मौसम कोई भी आए बस साथ तुम्हारे हंसना है
हर शाम गुजर जाए बस इतना तुमसे मिलना है।

✍ अखिलेश द्विवेदी

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