Akhir Kyu Hai Itna Pareshan Aadmi | आखिर क्यों है इतना परेशान आदमी | By- Akhilesh Dwivedi | Think Tank Akhil
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आखिर क्यों है इतना परेशान आदमी
करता सब पर है बस एहसान आदमी
कैसे भुला है गीता कुरान आदमी
बनता है खुद से क्यों अंजान आदमी।
एक अजनबी को है देना सहारा उसे
खुद को देखता है क्यों परेशान आदमी।
एक तरफ है उम्मीदें हज़ारों से जो
खुद न करता कभी जैसा काम आदमी।
आज सोचा बहुत कुछ न आया समझ
क्यू है बनता सच से अंजान आदमी।
अगर सहारा बने तो साथ पर्वत चढ़े
पर खुशी देख है क्यों हैरान आदमी।
किसी की लाठी, किसी का नयनतारा बने
बनता खुद में है खुद भगवान आदमी।
जो मिलेगा यहां सब यही रहना है
करता क्यों नहीं है अच्छे काम आदमी।
✍ अखिलेश द्विवेदी
Fabulous
ReplyDeleteWow 👌
ReplyDeleteKya hoga kal, Ye jaana ko hai paresan admi...needed Kavita 👌
ReplyDelete👍👍
ReplyDelete👌
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