सोचा था एक ग़ज़ल लिखूंगा
जिसमे साथ तुम्हारे बीता हर पल लिखूंगा।
तुमसे वो पहली मुलाकात की कहानी लिखूंगा
हमारे पहले प्यार की निशानी लिखूंगा।
एक अंजान से शहर में मिलना तुम्हारा लिखूंगा
फिर हमसे यूं बिछड़ जाना हमारा लिखूंगा।
वो हर हसीन रात का चमकता सितारा लिखूंगा
यूं ही हंसते हंसते बिखर जाना हमारा लिखूंगा।
हमारी अधूरी कहानी का एक हिस्सा कैसे लिखूंगा
तुम्हारी बदनामी वाला वो किस्सा कैसे लिखूंगा।
तुम्हारी आँखों से बहता वो पानी कैसे लिखूंगा
मेरी वो हर बार हुई नाकामी कैसे लिखूंगा।
पर मैं कोई ऐसी बात नहीं लिखूंगा
हो बदनामी प्यार की वो अल्फ़ाज़ नहीं लिखूंगा।
जो बीत गया कल वो आज नहीं लिखूंगा
जो रह गया हमारे बीच वो राज नहीं लिखूंगा।
सोचा था एक ग़ज़ल लिखूंगा
प्यार की चहल पहल लिखूंगा।
ना जाने क्यू मेरे हाथ काँपने लगे
अब और नहीं होगा कभी और यह गम लिखूंगा।
✍️ -अखिलेश द्विवेदी
वाह वाह वाह... ✨
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