चैन से सोना चाहता हूं- Chain se Sona Chahta hoon | By Akhilesh Dwivedi | Think Tank Akhil


सोना चाहता हूं
सोना चाहता हूं


यह दरवाज़े पर कोई पहरा लगा दो 
खुद में खोना चाहता हूं मैं।

बंद कर दो सारी खिड़कियां मेरे घर की
की अब मैं चैन से सोना चाहता हूं।

उसकी ज़रूरत मुझे अभी बहुत है
अब उससे दूर होना चाहता हूं।

अब कोई दिया रोशन ना करना
अंधेरे में खोना चाहता हूं मैं।

कुछ नए गम दे जा इन सूखी आंखों को
मैं फिर से पलकें भिगोना चाहता हूं।

था जिस पतवार का सहारा उसे तोड़ दिया
अब यह दरिया सुखाना चाहता हूं।
✍ अखिलेश द्विवेदी

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