वो दरिया की गहराई क्या जाने।
जो झूठ के बल पर जीत गया
भला वो सच्चाई क्या जाने।
जिसे प्यार कभी हुआ ही नहीं
वो दर्द तन्हाई का क्या जाने।
जो खुद के पास रहा ही नहीं
वो तुमसे बिछड़कर क्या जाने।
जो धूप में कभी जला ही नहीं
वो छाँव की कीमत क्या जाने।
✍️ -अखिलेश द्विवेदी
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