रहूँगा कुछ दिन ज़िन्दगी के सफर में
मर्जी है बेवजह भूल जाना मुझको
मुसाफ़िर हूँ चल पडूंगा किसी नयी डगर में।।1।।
तुम्हे भी होगा असर वक़्त के बीत जाने के बाद
सिर्फ करते रहोगे याद मेरे जाने के बाद।।2।।
जो सबसे अच्छा था वो अचानक सबसे बुरा हो गया
कुछ तो था ऐसा जो तुम्हे लगा की वो अब जुदा हो गया।।3।।
ना उससे इन्कार होता है
ना उससे इज़हार होता है,
मै बेखबर सबसे हूँ यारो
क्या ऐसे ही प्यार होता है? ।।4।।
हर बात पर नाराज नहीं होता हूँ मैं
ना जाने कितने, अर्शे पहले ही बिछड़ गये होते।।5।।
वो रूठते रहे, हम मानते रहे
एक अजीब सा रिश्ता निभाते रहे,
कहने को एक लम्बा अर्शा गुजारा साथ हमने
उलझी न थी ज़िन्दगी हम फिर भी उसे सुलझाते रहे।।6।।
खूबसरत सी थी जिंदगी मेरे आने से।
शायद इसी वजह से तेरी दुश्मनी हो गयी जमाने से।।7।।
बेशब्री से करता रहा मै इंतज़ार
क्या नहीं हुआ था उसको मुझसे प्यार,
ना जाने कौन सी बंदिशो से वो डर गया
चाह कर भी वो ना कर सका इज़हार।।8।।
बस अब एक-एक को आज़मा रहा हु मैं,
आहिस्ता-आहिस्ता सबसे दूर जा रहा हूँ मैं।।9।।
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