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आजकल ना जाने क्यों दिल तुमसे नाराज़ नहीं होता। |
आजकल ना जाने क्यों दिल तुमसे नाराज़ नहीं होता
बातें बहुत है करने को फिर भी चुप-चाप है सोता,
ऐसा लगता है सबकुछ है बदल गया
जैसे अनजान राहों में मुसाफ़िर है चलता।
आजकल ना जाने क्यों दिल तुमसे नाराज़ नहीं होता।।
कभी करते थे हम बहुत बातें
आज पता ना कब कैसे ही सो जाते
कभी न भूलेंगी वो हसीन रातें
जब हम करते थे दिल की बातें।
आजकल ना जाने क्यों दिल तुमसे नाराज़ नहीं होता।।
तुम कहती थी हमारी बातें कभी न होंगी खत्म
आज वो सबकुछ न जाने क्यों लगता है भ्रम
अब तो मै भी यह जान नहीं पाता
न जाने कैसा रिश्ता है यह दिल निभाता
आजकल ना जाने क्यों दिल तुमसे नाराज़ नहीं होता।।
ऐसा लगता है तुम बदल गयी हो
दूरियों के साथ तुम बहुत दूर हो गयी हो
न जाने क्यों अब तुमसे कुछ और कहा नहीं जाता
ऐसा लगता है तुमने खो दिए है इस दिल की नाराज़गी का नाता।
आजकल ना जाने क्यों दिल तुमसे नाराज़ नहीं होता।।
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