यह सिर्फ कहानी ही नहीं बल्कि दो दिलों की दास्तान है। जिसमे चाहते तो दोनों थे एक दूसरे को लेकिन किसी बात का डर हमेशा रहता।
उसकी बड़ी बड़ी ऑंखें और उसके रेशमी बाल अक्सर जो उसके चेहरे पर आ जाते थे उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा जाते। वो अक्सर कहती थी तुम बड़े अट्रैक्टिव हो पता नहीं क्यों बस तुम्हारे साथ रहने को दिल चाहता है।
अक्सर वो दूरियां बनाये रखती थी लेकिन जब मुझे पता था की उसे मेरे साथ रहना अच्छा लगता है तो मुझे दूरियाँ मिटाने में देर नहीं लगती। अक्सर कुछ बाते हो जाती जिससे वो साथ आ ही जाती थी। अनजान थे एक दूसरे से बिल्कुल वैसे ही जैसे दो मुसाफिर मिलते हैं किसी मोड़ पर, लेकिन सदियों साथ चलना जो था तो जान पहचाहन बनाने में देर हो जाती कैसे। हम कुछ ही महीने साथ थे एक दूसरे के लेकिन तब तक कुछ खास जगह तो बना ली थी हमने एक दूसरे के दिलो में, उसे हमराही बनाने में देर हो जाती कैसे।अक्सर कुछ न कुछ चर्चे हुआ करते थे हमारे बारे में और वो अक्सर मुझसे छिपाती थी की कहीं मैं लोगो को कुछ कह न दूं। अब दिल का नाता जो था तो मैं उसे देखकर जान लेता था की कुछ तो हुआ है, भला अब धड़कनो से पूछने में देर हो जाती कैसे। यह निश्चित था की हमें साथ रहना है कुछ महीने अब पास आने में देर हो जाती कैसे। जब भी उसे आस पास देखता बहुत अच्छा लगता, सोचता की काश हम साथ रहे। अब सोचकर भी उसे अपना बनाने में देर हो जाती कैसे।
आज जब मैं उसके शहर को अलविदा कह रहा हूँ, तो उसे वक़्त पर आने में देर हो जाती कैसे।
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