Bharosa Toot Jata Hai | भरोसा टूट जाता है | By- Akhilesh Dwivedi | Think Tank Akhil



Bharosa Toot Jata Hai | भरोसा टूट जाता है | By- Akhilesh Dwivedi | Think Tank Akhil



नादान मुसाफ़िर है इस सफ़र में सभी
एक खुश हो तो दूसरा रूठ जाता है।

इस तरह ना चलाओ तीर शब्दों के
दिल कांच सा है जल्द ही टूट जाता है।

सफ़र में लोगों का आना जाना लगा रहता है
जिसे मंज़िल मिले साथ उसका छूट जाता है।

बेवजह भी मिल लिया करो कभी अपनों से
वक्त लंबा हो तो भरोसा टूट जाता है।

अगर जीने लगे सबको खुश करने के लिए
हर शख्स हर बात पर बेवजह रूठ जाता है।
✍ अखिलेश द्विवेदी


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